Short Story With Moral in Hindi “नैतिक कहानियाँ न केवल नैतिकता को प्रकट करती हैं, बल्कि उनमें एक प्रबल संदेश भी छिपा होता है। ये कहानियाँ हमें बताती हैं कि कैसे हम बेहतर इंसान बन सकते हैं और इससे हमारा नैतिक चरित्र मजबूत होता है। यहाँ 100 से भी अधिक सीखने लायक नैतिक कहानियों का एक संग्रह है। इसे ज़रूर पढ़ें।”
1. टोपी बेचने वाला और बन्दर की कहानी :Short Story With Moral in Hindi
बहुत पुराने समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक आदमी निवास करता था, जिसका नाम रामु था। रामु गरीब था, परंतु उसमें एक अजीब सा आत्मविश्वास था। उसका सपना था कि वह अपने गाँव को और अपने परिवार को आगे बढ़ाएगा। उसकी सबसे बड़ी इच्छा थी कि उसका गाँव और लोगों का जीवन बेहतर हो।
एक दिन, रामु गाँव के बाजार में गया और वहां एक बूट विक्रेता से मिला। बूट विक्रेता ने उससे कहा, “रामु भाई, तुम्हारी बनाई गई टोपियाँ बहुत अच्छी हैं। लोग इन्हें बहुत पसंद करेंगे। क्यों नहीं तुम इन्हें बाजार में बेचकर अच्छा कमाई करोगे?”
रामु ने उस सुझाव को सुनकर सोचा और फिर उसने तय किया कि वह टोपियाँ बनाने और बेचने का काम करेगा। उसने बस एक टोपी बनाई और उसे बूट विक्रेता को दिखाई। बूट विक्रेता ने देखकर मुस्कराते हुए कहा, “यह बहुत अच्छी है, रामु! तुम्हें यह काम अच्छी तरह से आता है।”
इसके बाद, रामु ने और भी कई टोपियाँ बनाई और उन्हें बाजार में बेचने लगा। लोग उसकी टोपियाँ देखकर हैरान रह जाते थे कि इतनी सुंदर टोपियाँ कैसे बन सकती हैं। रामु की मेहनत और कला ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। उसकी टोपियाँ बाजार में बहुत चर्चा में रहने लगीं।
एक दिन, एक व्यापारी बंदर भी बाजार में आया। उसने रामु की टोपियों को देखकर बहुत पसंद किया और रामु से मिलने चला गया। बंदर ने कहा, “रामु, तुम्हारी टोपियाँ बहुत खूबसूरत हैं। मैं एक विशेष टोपी बनवाना चाहता हूँ जो मेरे लिए अनूठी हो।”
रामु ने खुशी खुशी उसकी इच्छा सुनी और उसके लिए एक विशेष टोपी बनाने का काम शुरू किया। उसने अपनी सभी कलाएं और मेहनत का सारा अपना ज्ञान लगा कर उस टोपी को बनाया। जब बंदर ने वह टोपी देखी, नैतिक कहानियाँतो उसकी आँखों में हैरानी थी। उसने कहा, “यह तो मेरी उम्मीदों से भी अधिक बेहतर है! तुम ने मेरे सपनों को अच्छी तरह से साकार किया है।”
बंदर ने उस टोपी को खरीद लिया और बहुत खुश होकर वहां से चला गया। लोग देखकर हैरान रह गए कि उनका बंदर भी टोपी पहन रहा है। रामु की टोपियों की प्रशंसा और मान्यता बढ़ती गई। उसके टोपियाँ अब और भी महंगी हो गईं, लेकिन लोग उन्हें खरीदने के लिए तैयार थे।
रामु ने अपनी मेहनत और कला के जरिए अपने गाँव का नाम रोशन किया। उसने दिखाया कि गरीबी और संघर्ष के बावजूद भी एक आदमी किसी भी क्षेत्र में महारत हासिल कर सकता है। उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और आत्मविश्वास का महत्व दिखाया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में मेहनत, कला, और आत्मविश्वास की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमें अपने सपनों की पूर्ति के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हमें मुश्किलों का सामना करना और उन्हें पार करना चाहिए। रामु की कहानी हमें यह सिखाती है कि हर कोई अपने जीवन में कुछ कर सकता है, बस उसमें मेहनत, उत्साह, और आत्मविश्वास होना चाहिए।
2. चींटियाँ और टिड्डे की कहानी : Short Stories With Moral Values in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में चींटियों और टिड्डों की एक अनूठी दोस्ती थी। गाँव के किसानों की मेहनत के बीच, चींटियाँ और टिड्डे अपनी छोटी दुनिया में बहुत खुश थे।
एक दिन, गाँव में अचानक सुनसानी छा गई और एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। बारिश नहीं हुई और सूखा ने अपना प्रभार दिखाना शुरू कर दिया। फसलें सूख गईं और गाँववाले परेशान हो गए।
चींटियाँ और टिड्डे भी इस समस्या को समझ गए। वे जानते थे कि अगर बारिश नहीं हुई तो उनके लिए भी जीवन मुश्किल हो सकता है। इसलिए, उन्होंने मिलकर गाँव के किसानों की मदद करने का निर्णय किया।
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अपनी छोटी टोली को बुलाया और कहा, “हमें गाँववालों की मदद करनी चाहिए। हमारे बिना उन्हें किसी भी तरह की सहारा नहीं मिलेगा।” टिड्डे ने भी इस पर सहमति दी और उन्होंने तय किया कि वे अपनी ओर से भी सहारा देंगे।
चींटियाँ और टिड्डे ने बनाया एक योजना। वे मिलकर अगले कुछ दिनों में गाँव के किसानों की सहायता करने का कार्य करेंगे। इसके लिए वे ने बनाया एक छोटा समूह, जिसमें उनके सभी सदस्य शामिल थे।
पहले चींटियाँ गाँव के खेतों में गईं और वहां के कीट पेड़ों को खाना बताने वाले टिड्डों को लाईं। टिड्डे ने अपनी चिरपिंग से चींटियों को मार्गदर्शन किया और उन्हें बताया कि कौन-कौन से पौधे किसी भी कीट के लिए हानिकारक हैं। इससे किसानों को अच्छी मात्रा में जानकारी मिली और वे अपने खेतों को बचाने के लिए उचित कदम उठा सके।
फिर, चींटियाँ और टिड्डे ने गाँव के बच्चों को भी शिक्षा देने का निर्णय किया। वे बच्चों को बताने लगे कि कैसे पेड़ों को बचाना और उन्हें सही ढंग से पानी देना चाहिए। टिड्डे ने बताया कि पेड़ों को पूरे साल के लिए ठंडा रखने के लिए उन्हें अच्छे से पानी देना बहुत आवश्यक है। इससे गाँव के बच्चे भी अपने माता-पिता की मदद करने में जुट गए।
चींटियाँ और टिड्डे ने गाँव के लोगों को सिखाया कि वे अगली बारिश के लिए कैसे तैयारी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ों को सही ढंग से पानी देना और खेतों को सही तरीके से बचाना कैसे महत्वपूर्ण है।
बारिश के बाद, गाँव के किसानों ने देखा कि उनकी मेहनत और चींटियों-टिड्डों की मदद से उनकी फसलें कमजोर नहीं हुईं बल्कि उन्होंने अच्छी खेती की थी। उन्होंने चींटियों और टिड्डों का आभारी होने का इज़हार किया और गाँववाले बहुत खुश हुए।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम मिलकर मेहनत करते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। चींटियाँ और टिड्डे ने अपनी अलग-अलग जगहों से आकर मिलकर गाँव को बचाया और उन्होंने दिखाया कि छोटी चीजें भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
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3. खोई हुई चाबी की कहानी :Short Story With Moral in Hindi
एक जमाने की बात है, एक छोटे से गाँव में एक छोटा सा घर था। उस घर में एक बूटीकीपर रहता था जिसका नाम विक्रम था। विक्रम बूटीकीपिंग का कारोबार करता था और उसकी दुकान गाँववालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान थी।
एक दिन, विक्रम ने अपनी दुकान की सफाई करते समय एक चाबी देखी। यह चाबी बहुत ही खास दिखती थी, सोने की तुलना में भी उसमें कुछ खास बातें थीं। विक्रम ने चाबी को उठाकर देखा और उसे अच्छी तरह से साफ किया। चाबी की धारा बहुत ही सुंदर थी, और उसमें एक छोटा सा हीरा भी था। विक्रम ने चाबी को अपनी दुकान के बूतियों के सबसे महत्वपूर्ण बूती में रख दिया।
इसके बाद से, विक्रम की दुकान में अच्छे दिन आने लगे। उसकी बूतियाँ बेचने लगीं और लोग उसकी दुकान की तारीक़े से आते जाते रहे। चाबी ने जैसा असर डाला, विक्रम ने कभी सोचा भी नहीं था।
एक दिन, एक गरीब लड़का दुकान में आया। उसने विक्रम से कहा, “भैया, मेरी माँ बुढ़ी हैं और हमारे पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं। क्या आप मुझे थोड़ी सी मदद कर सकते हैं?” विक्रम ने उसकी बातों को सुनकर देखा कि लड़का के हाथ में कुछ नहीं था, लेकिन उसकी आँखों में एक निराशा थी।
विक्रम ने सोचा और फिर देखा कि चाबी की चमक और हीरे की चमक में भी कुछ नहीं बराबर था। उसने लड़के से कहा, “तुम मेरी दुकान के बाहर एक बूती चुनो, मैं तुम्हें वहां कुछ देता हूँ।”
लड़का खुशी-खुशी बूती चुनने के लिए दुकान से बाहर गया और विक्रम ने उसके हाथ में एक साधारित बूती दी। लड़का ने वही बूती अपनी माँ के लिए लेने का निर्णय किया। विक्रम ने उसको कुछ पैसे भी दिए और उसकी माँ के लिए आशीर्वाद दिया।
विक्रम का दिल खुश हुआ क्योंकि उसने अपनी दुकान के महत्वपूर्ण बूती में से एक को उस लड़के के लिए चुना और उसने एक निराश जीवन को कुछ राहत दी।
वक्रम के दिल में एक नया आदर्श उत्पन्न हुआ। उसने समझा कि चाबी की महत्वपूर्णता उसके कारोबार की बढ़ गई थी, लेकिन उसने भी समझा कि इस चाबी का असली मूल्य उसे अपनी सहानुभूति और दया दिखाने में था। वह अब नहीं चाहता था कि उसकी दुकान भले ही सफल हो गई हो, लेकिन उसका दिल सुखा हुआ हो।
वक्रम ने दुकान का व्यापार चलाते हुए और दूसरों की मदद करते हुए एक नयी दिशा चुनी। उसने अपनी कमाई का एक हिस्सा नियमित रूप से गरीबों और जरूरतमंदों के लिए खर्चना शुरू किया। उसने एक स्कूल बनवाया और गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाई का अवसर दिया।
चाबी ने उसके जीवन को नए रूप में सजाया और उसे सही मार्ग पर चलने का सही रास्ता दिखाया। उसका दिल अब भी बहुत खुश था, लेकिन यह खुशी अब उसके आत्मकथा नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने में थी।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जिन चीजों को हम सामान्यत: महत्वहीन समझते हैं, वे हमारे जीवन में किसी का भला-बुरा कर सकते हैं। विक्रम की चाबी ने उसे न केवल अच्छा कारोबार दिलाया, बल्कि उसने यह भी सिखाया कि दूसरों की मदद करना और उनकी आवश्यकताओं को समझना हमें सच्चे संदेश की दिशा में आगे बढ़ा सकता है।
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4. तोते और चिड़ियाँ की कहानी
एक छोटे से गाँव में, जहां हर कोने में हरियाली और खुशियाँ छाई हुई थीं, एक आलसी बगीचा था। इस बगीचे में एक हरियाला तोता अपनी राजधानी बना रखा था। इस तोते का नाम था तितु, जो कि बहुत सुंदर और बुद्धिमान था। उसकी राजधानी में हमेशा फल और बीजों की बरसात होती थी और सभी पक्षियाँ उसके आस-पास आकर अपनी सुखद जिंदगी बिता रही थीं।
एक दिन, एक छोटी सी चिड़ीया बगीचे के पेड़ों पर उड़ रही थी। इस चिड़ीया का नाम था छूना, जो कि हमेशा खुश रहने वाली और सर्वदा उत्साहित थी। छूना ने तितु को देखा और उसकी सुंदरता और बुद्धिमत्ता को देखकर वह उदास हो गई।
छूना ने तितु से कहा, “तितु भैया, आपके बगीचे की राजधानी तो बहुत ही सुंदर है। क्या मैं भी आपके साथ रह सकती हूँ?”
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तितु ने मुस्कान के साथ कहा, “छूना, तुम हमेशा इस बगीचे में स्वागत हो। तुम्हारे साथ हमारा बगीचा और भी सुंदर हो जाएगा।”
फिर, तितु और छूना बगीचे में मिलकर खेती करने लगे। तितु ने छूना को बगीचे के सभी रहस्यों का ज्ञान दिया और छूना ने भी तितु को अपनी ऊर्जा और खुशियाँ साझा की। इन दोनों ने मिलकर बगीचे को और भी आकर्षक बनाया।
बगीचे के साथ बढ़ते समय में, तितु और छूना की दोस्ती और मजबूत हुई। वे न केवल एक-दूसरे के साथ खेती करते रहे, बल्कि उन्होंने बगीचे के सभी पक्षियों के लिए भी साथी की भूमिका निभाई।
एक दिन, बगीचे में एक बड़ा आंदोलन हुआ। एक दुष्ट बगीचा चाहता था कि तितु उसके साथ चले और अपनी राजधानी को छोड़ दे। तितु ने इसका विरोध किया और बगीचे की सुरक्षा के लिए लड़ने का निर्णय लिया।
तितु ने सभी पक्षियों को एकजुट होने के लिए आग्रह किया और उन्हें समझाया कि इस आंदोलन में साथ मिलकर लड़ना होगा। छूना ने भी तितु के साथ खड़ा होने का निर्णय लिया और सभी पक्षियों ने उनका साथ दिया।
उनका बगीचे के प्रति समर्पण ने उस दुष्ट बगीचे को हराने में सफलता प्राप्त की। तितु और छूना की बहादुरी ने सभी को एक साथ जोड़ा और बगीचे को सुरक्षित रखा।
उसके बाद, बगीचे में सदा शांति और सुख बना रहा। तितु और छूना ने सिखाया कि सहयोग और एकजुटता से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और सुखद जीवन जी सकते हैं। सभी बगीचे के पक्षी उन्हें अपने नेतृत्व में सम्मानित करते और उन्हें “सच्चे साथी” के रूप में मानते।
इस प्रकार, तितु और छूना ने मिलकर अपने बगीचे को सुरक्षित रखा और उसमें शांति और सुख की भावना को बनाए रखा।
यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि सहयोग और एकजुटता से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और एक सुखद जीवन जी सकते हैं।
5 . दो चिड़ियाँ की कहानी :A Short Story With Moral in Hindi
एक छोटे से गाँव की गहरी जंगली जगह पर, दो खूबसूरत चिड़ीयाघर बैठे थे। यहाँ की हरियाली और उच्चतम चिरपिंग ध्वनियों से जंगल में बहुत ही खासी मित्रता और हर्षवर्धन था। इन दोनों चिड़ीयाघरों का नाम था चिट्ठा और चहक।
चिट्ठा था एक सुंदर और बहुत ही बुद्धिमान पिकॉक जो हमेशा उच्चतम शाखा पर बैठकर अपनी शानदार रंग-बिरंगी पंखों की छवि बनाए रखना पसंद करता था। दूसरी ओर, चहक एक सर्वदा खुश और उत्साही बाज़ था, जिसका सिर पहले रहता था, हमेशा तैयार रहता था किसी भी समय गाना गाने के लिए।
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एक दिन, जंगल में एक नया पक्षी आया। इस पक्षी का नाम था बूँदी, जो किसी ने भी नहीं देखा था। चिट्ठा और चहक ने बूँदी को देखकर बड़ी रोमांचक भावना का अनुभव किया, क्योंकि उन्होंने उसके साथी में अब तक कोई ऐसा पक्षी नहीं देखा था।
चिट्ठा ने बूँदी से मिलकर कहा, “नमस्ते, बूँदी! हम चिट्ठा और चहक हैं, ये यहाँ हमारा चिड़ीयाघर है। तुम यहाँ कैसे आए हो?”
बूँदी ने खुशी खुशी बताया, “मैं एक दूर के जंगल से आया हूँ, क्योंकि मैंने सुना है कि यहाँ के पक्षियाँ बहुत ही मित्रपूर्ण हैं और यहाँ की जगह बहुत ही सुंदर है।”
चहक ने कहा, “तुम यहाँ सही जगह पर आए हो! हम यहाँ हमेशा खुश रहते हैं और आपके साथ मिलकर हमारी खुशियाँ और भी बढ़ जाएँगी।”
बूँदी ने चिट्ठा और चहक से मिलकर दोस्ती की और वहाँ का ताजगी और आत्मविश्वास भी अपना लिया। उसने जल्दी से सीखा कि कैसे गाने गाने का मजा लिया जाता है और चहक के साथ मिलकर हर बारिश में नाचता था।
एक दिन, जंगल में एक अच्छा सा दिन आया, और सभी चिड़ीयाघर के पक्षियाँ मिलकर एक बड़ा मेला मनाने का निर्णय लिया। सभी ने एक साथ मिलकर खुशी-खुशी मिले, खाना खाया और गाना गाया। चिट्ठा, चहक और बूँदी ने मिलकर मेले की तैयारी में बहुत मदद की।
मेला दिन दिन बढ़ता गया और सभी पक्षियाँ अपनी कला और उपहारों का प्रदर्शन कर रही थीं। चिट्ठा ने अपनी रंग-बिरंगी पंखों से सभी को मोहित किया, चहक ने अपने सुंदर गाने से सबको बहुत खुश किया, और बूँदी ने अपने अनूठे पंखों का प्रदर्शन करके सभी को हैरान कर दिया।
मेले का आयोजन बहुत ही सफल रहा और सभी चिड़ीयाघर के निवासियों ने मिलकर बहुत मजा किया। चिट्ठा, चहक और बूँदी ने अपनी नई मित्रता को मजबूत किया और उन्होंने सबको दिखाया कि सच्ची दोस्ती और मिलनसर वातावरण में कितनी ही खुशियाँ छुपी होती हैं।
इसके बाद, जंगल में हमेशा हरियाली, ध्वनि और खुशी से भरा हुआ रहा, और चिट्ठा, चहक, और बूँदी ने अपनी दोस्ती और संबंधों की मिसाल दी। वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देते रहे और जंगल में हमेशा हरियाली, हर्ष, और प्रीति का मौसम बना रखते रहे।
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