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Top 20+ Stories in Hindi Language | हिंदी कहानी

Stories in Hindi Language प्रतिलिपि मुक्त हिंदी कहानियाँ वहाँ हैं जो सभी रंगों को एक साथ मिलाती हैं। इन कहानियों में बचपन से लेकर आज तक के सभी अनुभव, वाक्य और कल्पनाएं पुनः से जीवंत हो जाती हैं। चाहे वे दिन को गुदगुदाहट भरी हों या फिर रील से रियल लाइफ़ की दिशा में मोड़दार हों, इन कहानियों का साथ हमेशा एक दोस्त की भाँति होता है जो हमें हमेशा रोमांचित करता है। हिंदी भाषा की मिठास और प्यार इन कहानियों को और भी विशेष बनाती हैं, और इसलिए हिंदी कहानियों को पढ़कर आनंद लेना कुछ अलग ही होता है।

चतुर खरगोश की कहानी: Stories in Hindi Language

काफी समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक बहुत ही चतुर खरगोश निवास करता था। उसका नाम था बुन्टी। बुन्टी की अकेलापन उसकी विशेषता थी, क्योंकि वह बहुत ही आलसी और बुद्धिमान था।

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Stories in Hindi Language

एक दिन, गाँव में एक बड़ा सांप आया और सबको बहुत डराया। लोग भागने लगे, लेकिन बुन्टी ठहरा और ध्यानपूर्वक सांप को देखने लगा। उसने देखा कि सांप की पूंछ में एक बड़ा टाँका है।

बुन्टी ने समझा कि यह सांप गाँव के लोगों को डराने के लिए ऐसा कर रहा है। उसने गाँववालों को बुलाया और उन्हें सांप की चालाकी के बारे में बताया।

गाँववाले बुन्टी की सुनी और उसके सुझाव का पालन किया। उन्होंने एक योजना बनाई जिसमें उन्होंने सांप को गाँव से बाहर भगाने का तरीका तैयार किया।

बुन्टी ने अपनी चतुराई से सांप को परेशान किया और उसे गाँव के बाहर ले जाने का योजना का पता लगाया। उसने गाँववालों को बताया कि वे एक साथ मिलकर सांप को गाँव से बाहर धकेलेंगे।

सांप को धकेलने का दिन आया और गाँववाले बुन्टी के साथ मिलकर उसे धकेलने निकले। बुन्टी ने सांप को मोहनी धुप में लेकर गाँव से बाहर बुलाया और वहां सांप बहुत देर तक टहलने का बहाना किया।

उस समय, गाँववाले ने सांप को एक बड़े से पत्थर से मार कर उसे गाँव से बाहर भगाया। सांप डर कर भाग गया और उसका मासूम खेल समाप्त हो गया।

बुन्टी ने गाँववालों को सांप को बाहर भगाने के लिए एक स्मार्ट योजना बनाने में मदद की और उन्हें सिखाया कि समस्याओं का समाधान चतुरी से कैसे किया जा सकता है। इससे गाँववालों ने बुन्टी को बहुत सम्मान दिया और उसे गाँव का हीरो माना।

इसके बाद से, बुन्टी ने हमेशा अपनी चतुराई से गाँववालों की मदद करते रहे और उनका दिल जीता। उसकी बुद्धिमता और साहस ने उसे गाँव का आदर्श नागरिक बना दिया।


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शरारती बंदर की कहानी: Moral Stories in Hindi Language With Pictures

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में बहुत ही शांतिपूर्ण और सुंदर वातावरण था। इस जंगल में अनेक प्रकार के जानवर रहते थे, जिनमें एक बंदर भी था जिसका नाम था बिल्लू।

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बिल्लू एक बहुत ही शरारती बंदर था। उसकी आँखों में हमेशा मस्ती और शरारत की चमक रहती थी। वह जंगल के सभी जानवरों के बीच मशहूर था क्योंकि उसकी हर शरारत पूरे जंगल में बसी जाती थी।

एक दिन, जंगल के राजा शेर सिंह ने एक सभा बुलाई और सभी जानवरों को एक समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा। समस्या यह थी कि जंगल में एक भयंकर साँप आ गया था जो जानवरों को बहुत परेशान कर रहा था। राजा ने सभी को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा और उन्हें आपस में मिलकर काम करने का आदान-प्रदान करने को कहा।

बिल्लू ने यह सुनकर बहुत ही उत्साह से उठते हुए कहा, “राजा, मुझे इस समस्या का समाधान निकालने का एक आइडिया है।” सभी जानवरों ने हंसते हुए बिल्लू को सुना।

बिल्लू ने कहा, “राजा, हमें उस साँप को भगाने के लिए एक महात्मा को बुलाना चाहिए। उस महात्मा के सामर्थ्य से ही हम उस साँप को दूर कर सकते हैं।”

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राजा ने इस आइडिया को स्वीकार किया और बिल्लू को महात्मा को ढूंढने का कार्य सौंपा गया। बिल्लू ने बहुत ही उत्साहित रूप से राजा की सेवा में निकला।

बिल्लू ने जंगल के चरागाह में चरागह किया और लोगों की बातें सुनकर उसे एक बुद्धिमान महात्मा के बारे में पता चला। बिल्लू ने महात्मा से मिलने का निर्णय किया और उसने उसे राजा के समस्या का समाधान निकालने के लिए मना कर दिया।

बिल्लू ने उसे मना करने के लिए कहा, “महात्मा जी, कृपया हमारी मदद करें। जंगल में एक भयंकर साँप आ गया है और हमें उसे दूर करने के लिए आपकी आवश्यकता है।”

महात्मा ने बिल्लू की बातों को सुना और हंसते हुए कहा, “बिल्लू, तुमने बहुत ही समझदारी से सोचा है, पर मुझे तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।”

बिल्लू ने चौंककर कहा, “पर महात्मा जी, आप तो जानते हैं सभी जानवर हमें ही आश्रय लेने आते हैं।”

महात्मा ने हंसते हुए उत्तर दिया, “हाँ, तुम सही कह रहे हो, लेकिन मैं साँपों से दूर रहता हूँ और उनसे मित्रता नहीं करता। उनका स्वभाव है ही ऐसा, उन्हें अपने रास्ते जाने दो और वह खुद ही चला जाएगा।”

बिल्लू ने महात्मा की बातों को सुनकर गहराई से समझा और उसने बैग में से अपना मोबाइल निकाला। बिल्लू ने एक साँप के डाराबारे में गाने सुनकर उसे अपने मोबाइल पर बजाना शुरू किया।

जंगल में बहुत ही अजीब-अजीब ध्वनियाँ सुनकर साँप हैरान हो गया और उसने उस जगह को छोड़कर अपने आप को दूर कर दिया। जंगल के अन्य जानवरों ने भी साँप की ओर उठते हुए उसे जंगल की बाहर की ओर भगाया।

बिल्लू की शरारत ने सभी को हंसी में डाल दिया और उसने दिखाया कि शानदार और बुद्धिमानी से निकाला गया आइडिया किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है। राजा ने बिल्लू की शरारती बुद्धिमानी को देखकर उसे सराहा और उसने जंगल को फिर से शांतिपूर्ण और सुरक्षित बना दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शानदार और सही तरीके से समस्या का समाधान निकालने के लिए हमें समझदारी, उत्साह, और आइडिया की आवश्यकता होती है। बिल्लू ने अपनी शाररती बुद्धिमानी से समस्या का समाधान निकाला और जंगल को फिर से शांतिपूर्ण बना दिया।

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नादान गधा की कहानी:

एक छोटे से गाँव में, जहां हर कोई अपने-अपने कामों में व्यस्त रहता था, एक नादान गधा अपने मासूमियत और बेहोशी के साथ आता था। इस गधे का नाम था गोपाल। गोपाल की आँखों में हमेशा कुछ नया देखने और सीखने की चाह रहती थी।

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गोपाल का दिल बहुत बड़ा था, और वह हर वक्त कुछ नया सीखने के लिए बेताब रहता था। गाँववाले उसे नादान कहकर हंसते रहते थे, पर गोपाल को यह सब फिर भी परेशान नहीं करता था।

एक दिन, गोपाल ने सुना कि गाँव के पास कुछ जंगल में सुनसान कुछ भूतपूर्व गाड़ियाँ छुपी हुई हैं और वहां से अजीब-अजीब आवाजें आ रही हैं। गोपाल ने तय किया कि वह उस जंगल में जाकर देखेगा कि यह सच है या नहीं।

गोपाल ने जंगल की ओर रुग्ण होते हुए कहा, “दोस्तों, मैंने सुना है कि जंगल में भूतपूर्व गाड़ियाँ छुपी हैं। मैं जाकर देखूँगा कि यह सच है या नहीं।”

गाँववाले हंसते हुए गोपाल के साथ आ गए और उन्होंने कहा, “तू क्यों जाएगा? वहां भूतपूर्व गाड़ियाँ हैं, वही तुझे खा जाएंगी!”

गोपाल ने हंसते हुए उत्तर दिया, “मैं नहीं मानता, मुझे स्वयं जाकर देखना है कि यह सच है या नहीं।”

जंगल की ओर बढ़ते हुए एक बड़ी भूतपूर्व गाड़ी देखी और बहुत ही उत्सुकता से उसकी ओर बढ़ा। गोपाल ने गाड़ी को खोला और देखा कि वहां अजीब-अजीब ढंग से जुड़ी चीजें रखी गई हैं।

गोपाल ने सभी को बुलाया और बताया, “देखो, मैंने कहा था ना कि यह सच है। यह गाड़ी बहुत अजीब-अजीब चीजों से भरी हुई है!”

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गाँववाले ने गोपाल की ओर आश्चर्यपूर्ण नजर से देखा और उन्होंने कहा, “ओह, गोपाल! यह सब तो एक स्टार्टिंग मीटर, बैटरी, और टायर की खोज से चीजें हैं।”

गोपाल ने विस्मित होकर कहा, “क्या? स्टार्टिंग मीटर, बैटरी, और टायर! तो यही तो हैं वह अजीब-अजीब चीजें!”

गाँववाले हंसते हुए गोपाल की मूर्खता पर हंसते रहे और उसका मजाक उड़ाते रहे। गोपाल को शर्मिंदा होकर गाड़ी की तरफ देखते हुए उसने कहा, “ठीक है, ठीक है! मैंने मजाक कर दिया।”

गोपाल ने गाँववालों के साथ हंसते हुए जंगल से वापस लौटने का निर्णय किया और उसने सीख ली कि कभी-कभी हमें बिना सत्यापन के चीजों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

गोपाल ने यह जीवन का सबक सीखा कि हमें हमेशा सत्य की पहचान करनी चाहिए और बिना जाँचे-तांडे किसी चीज पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उसने आगे बढ़कर जीवन में और भी सतर्कता बनाए रखने का संकल्प किया और उसने देखा कि इससे उसका जीवन सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच गया।

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साधु की पुत्री की कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक साधु निवास करता था। साधु का नाम स्वामी नारायण था, जो भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। उनका आश्रम गाँववालों के बीच एक शांतिपूर्ण स्थान था और उनकी सजग दृष्टि से वहां का माहौल हमेशा प्रेरणा से भरा रहता था।

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स्वामी नारायण का एक बड़ा संकल्प था कि वह अपनी जीवन संगी को भगवान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे। उनकी योगी शिक्षा और उनके आदर्शों ने गाँव के लोगों को उनकी अद्भुतता के प्रति आकर्षित किया।

एक दिन, एक विदेशी यात्री गाँव के आश्रम में पहुँचा और उन्होंने स्वामी नारायण से मिलने का इच्छा जाहिर की। स्वामी नारायण ने उसे खुशी-खुशी स्वागत किया और विदेशी यात्री ने अपनी कहानी साझा करने का निर्णय किया।

विदेशी यात्री का नाम था आलिया, और उसने बताया कि वह एक संघर्षशील साहित्यकार है जो भगवान की खोज में अपना जीवन यापन कर रही है। आलिया ने बताया कि उसे भगवान की प्राप्ति के लिए एक आध्यात्मिक गुरु की तलाश थी और उसके साथ उसका जीवन साझा करने का इच्छा था।

स्वामी नारायण ने आलिया की अद्भुत बातों को सुना और उनके आत्मविश्वास और निष्ठा को देखकर उन्होंने तत्पर रूप से आलिया को अपनी शिष्या बनाने का निर्णय किया।

आलिया ने स्वामी नारायण के आश्रम में अपना समय बिताना शुरू किया और उनसे भगवान की अध्ययन करने का अनुरोध किया। स्वामी नारायण ने उसे योग, मेधा और ध्यान की शिक्षा दी, जिससे आलिया का जीवन धीरे-धीरे बदलने लगा।

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धीरे-धीरे, आलिया ने आत्मा के साथ एकाग्रता प्राप्त की और उसने अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देखना आरंभ किया। स्वामी नारायण के प्रेरणादायक उपदेशों ने उसे जीवन की सार्थकता का अर्थ समझाया और उसने अपने अंतर में छिपी अद्वितीयता का अनुभव किया।

एक दिन, स्वामी नारायण ने आलिया से कहा, “तुम्हें अब अपने जीवन का अगला कदम उठाना चाहिए। तुम्हारा धरोहर यहाँ से बाहर है और तुम्हें भगवान की सेवा के लिए जगह-जगह जाना चाहिए।”

आलिया ने धन्यवाद कहते हुए स्वीकार किया और उसने आश्रम को छोड़कर भगवान की सेवा में निर्धारित होने का निर्णय किया। उसने साधु जी की शिक्षा और आशीर्वाद के साथ एक नया यात्रा आरंभ किया और उसके जीवन का मकसद स्पष्ट हो गया।

अपनी यात्रा में अनेक स्थानों पर भगवान की सेवा की और उसके प्रशिक्षण से लाभ उठाया। उसने लोगों को धर्मिकता और साधना की महत्वपूर्णता के बारे में शिक्षा दी और उन्हें धार्मिक रूप से जीने के लिए प्रेरित किया।

आलिया की खोज में उसने नए दोस्तों को पाया, जो भी उसके संग भगवान की सेवा करने के लिए समर्पित थे। उसने एक बड़े समुदाय का नेतृत्व किया और अपने पूरे जीवन को भगवान की सेवा में समर्पित किया।

इस प्रकार, साधु की पुत्री आलिया ने अपने आदर्शों के पीछे चलते हुए अपने जीवन को एक नए आध्यात्मिक सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उसकी यह कहानी लोगों को यह सिखाती है कि आत्मा की खोज में हर किसी को अपने जीवन को महत्वपूर्ण और सार्थक बनाने का मार्ग दिखा जा सकता है।

“चतुर खरगोश और शेर” की कहानी:

एक गाँव में एक बड़ा जंगल था, जिसमें अनेक प्राणियाँ निवास करती थीं। उस जंगल में एक चतुर खरगोश रहता था, जिसका नाम था बुन्टी। बुन्टी अपनी चतुराई और फुर्ती से जंगल के सभी प्राणियों का सम्मान जीतता था। उसकी दोस्ती और बातचीत में भी बहुत महत्व था।

एक दिन, जंगल में एक बड़ा शेर आया। शेर बहुत भयंकर और आत्मविश्वासी था। उसने सभी प्राणियों को धमकाया कि वह उन्हें खा जाएगा। चिंतित होने वाले प्राणियों ने बुन्टी से मदद मांगी।

बुन्टी ने शेर की धमकी को सुनकर समझा कि समस्या गंभीर है। उसने अपनी चतुराई का इस्तेमाल करके एक योजना बनाई। उसने देखा कि शेर की भयंकरता में भी कमजोरियाँ थीं।

बुन्टी ने जंगल के सभी प्राणियों को एकत्र किया और एक साझेदारी की रणनीति बनाई। उसने बताया कि सभी मिलकर शेर को धमका कर उसे जंगल से निकालेंगे।

रणनीति के अनुसार, जंगल के सभी प्राणियों ने मिलकर शेर को बहुत डराया और उसे जंगल से निकाल दिया। शेर डरकर भाग गया और जंगल से दूर रहने का निर्णय किया।

बुन्टी ने जंगल को शेर के आत्मविश्वास को पुनर्स्थापित करने का सिखाया और सभी को एक साथ रहने के महत्व को समझाया। उसकी चतुराई ने जंगल को फिर से शांति और समृद्धि में बदल दिया।

इसके बाद से, जंगल के लोग बुन्टी की समझदारी और चतुराई की सराहना करते रहे और उसे अपने दिल में सबसे बड़ा योद्धा मानते रहे। बुन्टी ने नहीं सिर्फ शेर को हराया, बल्कि उसने सभी को एकजुट होने का सिखाया और जंगल को एक सुरक्षित स्थान बनाया।

किसान का होशियार बेटा

गाँव के इस किसान रामचंद के परिवार में उनकी पत्नी गीता और दो बच्चे – बिल्लू और चिंटू – थे। रामचंद, जो कि गरीब थे, लेकिन उनमें मेहनत और आत्मविश्वास की भरपूर मात्रा थी।

एक दिन, रामचंद ने अपने बच्चों को बुलाया और उन्हें उनकी पढ़ाई के लिए कुछ नया करने का प्लान बताया। उन्होंने उन्हें गाँव के शिक्षक से किताबें लेने के लिए कहा और फिर खुद ही उन्हें पढ़ाने का निर्णय लिया।

बिल्लू और चिंटू परेशान थे क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया। उनका प्यार और सहयोग रामचंद को और भी मजबूत किया।

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रामचंद ने गाँव के शिक्षक से मिलकर उन्हें अपनी समस्या साझा की और बच्चों के लिए किताबें प्राप्त करने का अनुरोध किया। शिक्षक ने रामचंद की मेहनत और संघर्ष को देखकर सहमति दी और किताबें बिना किसी शुल्क के प्रदान की।

रामचंद ने बच्चों को लिखाई, गणित, और अन्य विषयों में पढ़ाने का प्रयास किया। उनके द्वारा की गई मेहनत के फलस्वरूप बच्चों ने अपने पिता के मार्गदर्शन में मेहनत की और अच्छे अंक प्राप्त किए।

कुछ साल बाद, बिल्लू और चिंटू गाँव के शिक्षा विभाग की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार हुए। उन्होंने अपने अच्छे अंकों के परिणामस्वरूप प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया और गर्व और खुशी से भरा।

इसके बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए। बिल्लू ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और चिंटू ने डॉक्टर बनने का सपना देखा।

रामचंद गरीब थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा का महत्व सिखाया और उन्हें उनके सपनों की पूर्ति के लिए मेहनत करने की प्रेरणा दी। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उनके बच्चों को एक बेहतर भविष्य की ओर आग्रहित किया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा केवल पैसों के बदले में नहीं मिलती है, बल्कि उसके लिए मेहनत और इच्छा की आवश्यकता होती है। अगर हमारे पास संकल्प है और हम मेहनत करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

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