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20+Best Short Moral Stories in Hindi | हिंदी नैतिक कहानियां


Short Moral Stories in Hindi बच्चों के लिए हिंदी की लघुकथाएं सिर्फ मनोरंजन का माध्यम ही नहीं होतीं, बल्कि ये उन्हें जीवन के मौलिक सिखाने का एक प्रभावशाली तरीका भी प्रदान करतीं हैं। कहानियों की बात होती ही है, तो बच्चों का जिक्र तो अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि हिंदी लघुकथाएं मुख्य रूप से उन्हें सबसे अधिक पसंद होती हैं। बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा से भरपूर कहानियां ही वह साधन हैं जिससे उन्हें नई प्रेरणा मिलती है और साथ ही जीवन को सही तरीके से जीने का सिखने का अवसर भी मिलता है

1.भेड़िये और सारस की कहानी

एक समय की बात है, जंगल में एक भेड़िया बहुत ही भूखा और प्यासा भटक रहा था। बहुत समय तक भूखा और प्यासा भटकने के बाद, भेड़िया ने एक जानवर को शिकार करते हुए उसको खा लिया। जब भेड़िया जानवर को खा रहा था, तो उसकी गले में जानवर की हड्डी फंस गई।

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भले ही भेड़िया ने बहुत प्रयास किया, पर उसकी गले से हड्डी निकलना संभव नहीं हुआ। गली में हड्डी के साथ परेशान होने के बाद, भेड़िया ने इधर-उधर घूमकर किसी जानवर से मदद मांगने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी जानवर उसकी मदद करने के लिए तैयार नहीं था।

बहुत देर तक भटकने के बाद, भेड़िया को एक सारस मिली। भेड़िया ने सारस को अपनी समस्या बताई, और सारस ने कहा कि वह उसकी मदद कर सकती है, पर उसे कुछ देना होगा। भेड़िया ने कहा कि अगर सारस मदद करती है, तो उसको इनाम देगा। इनाम की लालसा में सारस ने भेड़िया की मदद करने को तैयार हो गई।

अब सारस ने अपनी लम्बी चोंच को भेड़िया के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला, भेड़िया बहुत खुश हुआ और दूर चला गया। इस पर सारस ने कहा कि तुमने तो इनाम देने का वादा किया था। और तुम तो जा रहे हो, यह तो ग़लत है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हार-जीत, संघर्ष और सहयोग के माध्यम से ही हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।

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2.दो मेढकों की कहानी-(Short Moral Stories in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक समूह मेंढ़क बसता था। एक दिन सभी मेंढ़क मिलकर निर्णय किया कि आज हम पूरे जंगल का सफर करेंगे। सभी मेंढ़क तत्परता से यात्रा के लिए तैयार हो गए। यात्रा के दौरान, समूह से दो मेंढ़क गहरे गड्ढे में गिर गए, जिसके बाद उन्हें बाहर निकलने में काफी कठिनाई हो रही थी

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इस पर गड्ढे के किनारे खड़े अन्य मेंढ़क उन दोनों को उत्साहित करते हुए चिल्ला रहे थे, और कह रहे थे कि तुम्हारी कोशिशें बेकार हैं, तुम कभी बाहर नहीं निकल सकोगे। दोनों मेंढ़क ने प्रयास किया बाहर निकलने का, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

इस दृश्य को देखकर गड्ढे के किनारे स्थित अन्य मेंढ़क उच्च स्वर में चिल्ला रहे थे, बोल रहे थे कि तुम्हारा प्रयास बेकार है, तुम कभी बाहर नहीं आ सकोगे।

गड्ढे में ही मौजूद एक मेंढ़क ने सभी मेंढ़कों की बातें सुनीं और बहुत निराश होकर गड्ढे से बाहर निकलने का प्रयास छोड़ दिया, अपने प्राण हार दिए। हालांकि, दूसरा मेंढ़क अभी भी पूरी तरह से उत्साहित था और गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश जारी रख रहा था। उसका उत्साह देखकर सभी मेंढ़क हैरान रह गए। जब उन्होंने पूछा कि उन्होंने यह कैसे किया, तो उस मेंढ़क ने कहा कि वह बहरा है और उसने बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था, जबकि बाकी मेंढ़क उसे उत्साहित करने के लिए उछल रहे थे।

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दूसरे मेंढ़क की यह बातें सुनकर, समूह में नए उत्साह और संघर्ष की भावना उत्पन्न हुई। वे सभी मेंढ़क ने मिलकर दिखाया कि संघर्ष का सच्चा मतलब यह नहीं है कि हम कभी हार नहीं मान सकते।

मेंढ़क का प्रयास और संघर्ष ने सबको एक साथ मिलकर काम करने की महत्वपूर्णता दिखाई। समूह में एक टीम की भावना उत्पन्न हुई और सभी ने मिलकर उस गड्ढे से बाहर निकलने का निश्चित प्रयास किया।

दूसरे मेंढ़क की तरह, समूह ने भी एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने का महत्व समझा। उन्होंने एक दूसरे का समर्थन किया, उन्हें प्रेरित किया, और एक अद्वितीय टीम के रूप में सहयोग किया।

अंत में, समूह ने साथी दो मेंढ़कों को भी उत्साहित किया और उन्हें सहयोग किया ताकि वे भी गड्ढे से बाहर निकल सकें। यह उनके लिए एक मुख्य पाठ हुआ कि संघर्ष में आत्म-समर्थन और सहयोग का महत्व होता है।

कहानी की सीख: उपरोक्त मेंढक की कहानी हमें सिखाती हैं हमें जीवन में किसी की भी नकारत्मक बात नहीं सुननी चाहिए। दूसरों की नकारत्मक बातों में ध्यान देने की बजाय अगर हम सकारात्मक सोच के साथ प्रयास करें तो अपने कार्य में सफल हो सकते हैं।

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3. शेर और चूहे की कहानी -(Short Moral Stories in Hindi )

एक समय की बात है, एक जंगल में एक शेर और एक चूहा राजा बने हुए थे। एक दिन, जब शेर गहरी नींद में सो रहा था, एक चूहा बिल से बाहर निकलकर शेर के ऊपर उछल कूदने लगा। चूहे की उछल कूद से शेर की नींद खुल गई और शेर ने उसे पकड़ लिया।

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चूहे को पकड़ने के बाद, उसे बहुत डर लगा। शेर ने देखा कि चूहा कितना डरा हुआ है और उससे कहा, “तुमने मेरी नींद को खराब किया है, अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा।” चूहे ने अपनी असहायता को देखकर कहा, “हे राजा, आप मुझ छोटे से प्राणी को खाकर अपनी भूख नहीं मिटा सकते। कृपया मुझे मत खाइए।”

चूहे ने कहा, “हे शेर राजा, मैं विनती करता हूँ कि आप मुझे छोड़ दो, और अगर कभी भी आपको किसी मुसीबत में फंसना पड़ता है, तो मैं आपकी मदद कर सकता हूं।” शेर ने हंसते हुए कहा, “तुम तो बहुत छोटे हो, तुम मेरी मदद कैसे कर सकते हो?” चलो, आज मैं तुम्हें छोड़ देता हूं, लेकिन अगली बार ऐसा करने पर मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा।” इसके बाद शेर ने चूहे को छोड़ दिया।

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कुछ दिनों बाद, शेर खाने की तलाश में जंगल में भटक रहा था, और तभी उसे एक शिकारी के फैलाए गए जाल में फंसा देखा गया। शेर ने बहुत प्रयास किया लेकिन आजादी प्राप्त नहीं कर सका। कुछ ही देर बाद, शेर ने जोर-जोर से दहाड़ना शुरू किया। चूहा ने शेर की दहाड़ को सुना और तत्परता से उसकी ओर बढ़ा।

जब चूहे ने देखा कि शेर जाल में फंसा हुआ है, तो वह तुरंत ही अपने तेज दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में, चूहे ने पूरा जाल काट दिया और शेर आजाद हो गया। शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और दोनों दोस्त बन गए।

कहानी का सारांश: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी को उसके आकार या स्थिति के आधार पर नहीं जज्बात किये जाना चाहिए, बल्कि हर व्यक्ति की महत्वपूर्णता है, और सहायता करना और सहायता लेना हम सभी का कर्तव्य है।

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4. हाथी और सियार की कहानी

एक जंगल में एक हाथी और एक सियार रहता था। जंगल में सियार भूख से इधर उधर भटक रहा था। वन में घूमते-घूमते सियार एक जगह पर आया जहाँ उसने हांथी को देखा। हांथी को देखते ही सियार के मुंह में पानी आ गया। सियार हांथी को खाने के बारे में सोचने लगा। यह सोचकर सियार हांथी के पास गया।

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हाथी के पास जाकर सियार बोला हाथी इस जंगल में बहुत से जानवर रहते हैं , लेकिन कोई भी जानवर आपसे ज्यादा बड़ा और समझदार जानवर नहीं है। क्या आप जंगल का राजा बनना पसंद करोगे। सियार की यह बात हाथी को अच्छी लगी। हाथी ने सियार को जंगल का राजा बनने के लिए हाँ बोल दिया। हाथी के हाँ बोलने पर सियार ने बोला आप मेरे साथ चलो। खुशी से फुला ना समा रहा हाथी सियार के साथ चल दिया। सियार हाथी को एक तालाब के पास ले गया। सियार बोला आप तालाब में नहाने के लिए उतर जाओ। तालाब में बहुत ही दलदल था।

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राजा बनने की खुशी में हाथी तालाब में उतर गया। तालाब में उतरते हाथी धंसने लगा। हाथी सियार से बोला की ये तुम मुझे कैसे तालाब में ले आये, मैं इसमें धंसता ही जा रहा हूँ। सियार यह सुनकर जोर-जोर से हँसने लगा। सियार बोला की मैं तुम्हें अपना शिकार बनाना चाहता था इसलिए मैं तुम्हें इस तालाब में लाया। यह सुनकर हाथी मायूस होकर रोने लगा। हाथी ने तालाब से बाहर निकलने का बहुत प्रयास किया। लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। धीरे-धीरे हाथी दलदल में धंसने लगा। हाथी को दलदल में फंसा देख सियार हाथी को खाने के लिए तालाब में उतर गया। जिसके बाद सियार के साथ -साथ हाथी भी दलदल में फंसकर मर गया।

कहानी की सीख: उपरोक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह स्वयं भी उस गड्ढे में गिरता है।

5.नन्हीं चिड़िया की कहानी -(Short Moral Stories in Hindi )

बहुत समय पहले की बात है, एक बड़ा घना जंगल था। एक बार जंगल में एक भयानक आग बढ़ी। सभी जानवर आग को देखकर डरकर इधर-उधर भाग रहे थे, अपनी जान बचाने के लिए।

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आग बढ़ने से जंगल में भागदड़ मची हुई थी। सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए हड़बड़ी में थे। इस जंगल में एक नन्हीं सी चिड़ीया भी थी। चिड़ीयाओं ने देखा कि सभी जानवर बहुत भयभीत हैं। चिड़ीयाओं ने सोचा कि इस आग में मुझे जानवरों की मदद करनी चाहिए।

इस विचार में, नन्हीं सी चिड़ीया एक नदी के पास गई। नदी में पहुंचकर उसने अपनी छोटी सी चोंच से नदी की जल से आग बुझाने का प्रयास किया। चिड़ीयाओं को देखकर एक उल्लू सोच रहा था कि यह चिड़ीया कितनी मूर्ख है, इतनी भयंकर आग को इसके द्वारा बुझाना संभव नहीं है।

इसके बाद उल्लू ने चिड़ीया के पास जाकर कहा, “तुम बेकार में मेहनत कर रही हो, तुम्हारे द्वारा लाया गया पानी से यह आग कैसे बुझेगी?” इस पर चिड़ीया ने विनम्रता से कहा, “मुझे बस अपना प्रयास करते रहना है, चाहे आग कितनी भी भयंकर क्यों ना हो।”

उल्लू को इस उत्तर से प्रभावित होकर, चिड़ीया के साथ मिलकर आग बुझाने में योगदान देने लगा।

कहानी की सीख: यह कहानी हमें यह बताती है कि जो भी मुश्किलें आएं, हमें अपना प्रयास कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

6.एक बूढ़े आदमी की कहानी

एक बार की बात है, गाँव में एक बूढ़ा आदमी निवास करता था। उसे सभी लोग बदनसीब समझते थे, और उसकी अजीब चरित्र उन्हें परेशान करता था। गाँववाले उस बूढ़े आदमी से थक चुके थे।

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बूढ़े आदमी हमेशा उदास और चिड़चिड़ा रहता था, और उसके कभी भी साथी नहीं होते थे। वह बदले रूप से हमेशा नाराज रहता था और उसके बयान लोगों के दिलों को छू जाते थे। उसकी बातों से लोग बचने का प्रयास करते थे। बूढ़े आदमी का साथ रहना सभी के लिए अस्वाभाविक और अपमानजनक था, और उससे मिलने वाली दुखद दिनचर्या सभी को अफसोस की अनुभूति कराती थी।

एक दिन, बूढ़े आदमी अचानक सभी के सामने बहुत खुश नजर आने लगा। यह खबर पूरे गाँव में तेजी से फैल गई कि बूढ़े आदमी को आज 80 साल हो गए हैं। इस पर सभी ने आश्चर्य से उसे देखने के लिए इकठ्ठा हो गए। लोगों को यह जानकर हैरानी हुई कि ऐसा क्यों है कि बूढ़े आदमी इतना खुश है।

किसी ने बूढ़े आदमी से पूछा, “तुम्हें क्या हुआ? आज इतना क्यों खुश हो?” बूढ़े आदमी ने हंसते हुए कहा, “कुछ खास नहीं हुआ। मैंने अपने पूरे जीवन में 80 साल की उम्र तक खुशी की तलाश की, लेकिन मुझे कभी खुशी नहीं मिली। जीवनभर की मेरी तलाश बेकार गई। लेकिन आज मैंने यह निर्णय लिया है कि अब से मैं बिना खुशी की तलाश के जीवन जीऊंगा, और मैं इस पर खुश हूं।”

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें जीवन में खुशी को ढूंढने के लिए उसके पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि हमें अपनी आत्मा की शांति को पहचानना चाहिए और जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।

7. गधे और धोबी की कहानी -(Short Moral Stories in Hindi )

एक दिन, एक अभिशापित धोबी अपने पास एक दुर्बल गधा रखता था जिसे बहुत ही कम आहार मिलता था। एक दिन, उसे एक मृत बाघ का शव मिला। धोबी ने योजना बनाई कि वह गधे पर बाघ की खाल बिछाए और उसे पड़ोसी क्षेत्र में गुमाए ताकि उन्हें लगे कि यह एक वास्तविक बाघ है।

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किसान, जब गधे को देखेंगे, वे समझेंगे कि यह एक सच्चा बाघ है, और डरकर दूर रहेंगे, जिससे गधा आराम से उनके खेतों में चरने का मौका पाएगा। धोबी ने इस योजना को तत्परता से कार्रवाई में परिणाम स्वरूप किया।

एक रात, जब गधा खेतों में चर रहा था, उसने किसी असली गधे की हिंडी की आवाज सुनी। इस आवाज को सुनकर गधा इतने उत्साहित हो गया कि वह जोर-जोर से हिंडी करने लगा। गधे की चीख के कारण, गाँववालों को गधे की असलियत का पता चल गया और लोगों ने गधे को कड़ी से कड़ी पिटाई कर दी।

कहानी से निकलने वाला सिख: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सत्य कभी छुपा नहीं रहता, उसका पर्दाफाश होता है, चाहे कुछ भी हो।

8. लोमड़ी और अंगूर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, जंगल में एक चालाक लोमड़ी अपनी चालाकी से प्रसिद्ध थी। एक दिन, भूख के मारे वह पूरे जंगल में खोजने निकली, लेकिन उसकी खोज में सफलता नहीं मिली। लोमड़ी ने हर कोने को चान मारा, लेकिन उसे खाने का कोई सुराग नहीं मिला। थक कर उसने एक पेड़ के नीचे बैठ लिया।

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वहां बैठी लोमड़ी ने सोचा, और थोड़ी देर में उसे नींद आ गई। जब वह आँखें खोली, तो उसने देखा कि एक पेड़ पर पके हुए, और रसभरे अंगूर लटक रहे हैं। इन अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया। लेकिन, यहां तक कि जब उसने उछल-उछल कर अंगूर हासिल करने का प्रयास किया, तो वह असफल रही। इन अंगूरों को प्राप्त करने में उसके प्रयासों में विफलता हो रही थी, क्योंकि पेड़ पर अंगूर काफी ऊँचे थे। थक हार कर लोमड़ी ने कहा कि अंगूर खाना उसकी आदत नहीं है, और उसने इसे छोड़ दिया।

लोमड़ी की इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अक्सर विफलता और मुश्किलें हमें नई दिशा में सोचने और नए तरीके से काम करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। लोमड़ी ने हालात को स्वीकार किया और अंगूर को पाने के लिए अधिक प्रयास नहीं किया, बल्कि उसने यहां तक कि वह अंगूर खाने की आदत नहीं है इसे छोड़ दिया।

इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमें अपनी स्थिति को स्वीकार करना और उसे बदलने की क्षमता रखना चाहिए। लोमड़ी ने अंगूरों को पाने के लिए बहुत प्रयास किया, लेकिन जब उसका प्रयास विफल रहा, तो उसने अपनी आदतों और विचारधारा को स्वीकार किया और अंगूरों को छोड़ दिया।

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इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमें अपने प्रतिबंधों को स्वीकार करना और उनके साथ सहयोग करना चाहिए, ताकि हम अधिक उत्तरजीवीन और सकारात्मक रूप से जी सकें। लोमड़ी ने अपनी आदतों को समझा, उन्हें स्वीकार किया, और उसने इससे बहुत कुछ सीखा।

इसके अलावा, इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि हमें कभी हालातों के बहाने अपने लक्ष्यों से हाथ धोना नहीं चाहिए, बल्कि हमें अपनी मेहनत और उम्मीद को बनाए रखना चाहिए। लोमड़ी ने भूख के मारे भी हालातों के साथ सही तरीके से निबटाया और आखिर में अपने लक्ष्यों को हासिल किया।

यह कहानी हमें बताती है कि जीवन की चुनौतियों और विफलताओं को आपकी स्वीकृति और सकारात्मक सोच के माध्यम से कैसे पार किया जा सकता है, और कैसे हमें अगर विफल होते हैं तो उससे सीखना चाहिए ताकि हम और बेहतर बन सकें।

9.जादुई बॉल की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

बहुत समय से पहले की बात है की एक बार एक छोटा लड़का था जिसका नाम श्याम था वह एक बगीचे में एक बरगद पेड़ के नीचे खेल रहा था। बच्चे को खेलते-खेलते बगीचे में एक क्रिस्टल बॉल मिली। यह एक जादुई क्रिस्टल बॉल थी जो किसी भी इच्छा को पूरा कर सकती थी।

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बच्चा यह जानकर बहुत खुश हुआ की उसे जादुई बॉल मिल गई। बॉल मिलते ही बच्चे ने बॉल को अपने बैग में रख लिया। बच्चे ने सोचा जब तक उसकी इच्छाएं पूरी नहीं होती वह बॉल को अपने पास ही रखेगा। ऐसा सोचते हुए बहुत दिन निकल गए और बच्चे को यह समझ नहीं आ रहा था की वह जादुई बॉल से क्या मांगे। एक दिन श्याम का एक दोस्त राम उसके पास पाया राम ने क्रिस्टल बॉल श्याम के पास देखी और बॉल बैग से निकाल ली। इसके बाद राम बॉल को लेकर पुरे गांव में घूमने लगा। गाँव में बॉल को देखकर सब अपने लिए धन , महल और सोना चांदी मांगने लगे। लेकिन सभी को बस अपनी एक ही इच्छा पूरी करने का मौका मिल रहा था।

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अंत में सबको अपनी इच्छाओं को पूरी करने का पछतावा हो रहा था। क्योंकि लोगों को लग रहा था की उन्हें जो चाहिए था वो नहीं मिला। गाँव के सभी लोग दुखी होकर श्याम के पास पहुंचे। श्याम ने सबकी हालत देखी और बॉल से इच्छा व्यक्त की सब कुछ पहले जैसा हो जाए। बॉल ने सब कुछ पहले जैसा कर दिया यह देख सबने श्याम को धन्यवाद किया। सब श्याम के सूझबूझ की तारीफ कर रहे थे।

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है बहुत ज्यादा धन, सोना और चांदी भी हमें खुशी और सुख नहीं दे सकता। जीएवं में हमें जितना मिला है उसी में संतोष करें। जीवन तभी सुखमय होगा।

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