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Best 20+ Story in Hindi Small | Interesting Hindi Short Story

Story in Hindi Small: बच्चों के लिए कहानियां सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं होतीं, बल्कि उन्हें जीवन की मूल बातें सिखाने का एक शक्तिशाली तरीका भी होता है। हिंदी छोटी कहानियां बच्चों को नैतिक मूल्यों का पालन करने और सही रास्ते पर चलने की महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करतीं हैं। इन कहानियों से ही बच्चों को नई प्रेरणा मिलती है और वे सही तरीके से जीवन को आगे बढ़ाते हैं।

 1. तीन मछलियों की कहानी :(Story in Hindi Small )

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से नदी में तीन मछलियाँ रहती थीं। इन तीनों मछलियों का नाम था – लाली, पीली, और नीलू। ये तीनों मछलियाँ अपने आप में अद्वितीय थीं, परंतु उनकी मित्रता में बहुत सारा रंग और जोश था।

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Story in Hindi Small

एक दिन, लाली, पीली, और नीलू ने मिलकर नदी के किनारे पर बैठकर बातें करने का निर्णय किया। वे यह चाहती थीं कि उनकी दोस्ती हमेशा बनी रहे और वे हमेशा साथ रहें

लाली ने कहा, “हम तीनों कभी भी अलग नहीं होने चाहिए। हमारी मित्रता को हमेशा मजबूती देनी चाहिए।”

पीली ने इसमें सहमति दी और कहा, “हाँ, हमेशा एक दूसरे का साथ देना चाहिए। अगर किसी की मदद की आवश्यकता होती है, तो हमें उसके साथ होना चाहिए।”

नीलू ने भी मुस्कराते हुए कहा, “हाँ, हम तीनों मिलकर हमेशा आपसी समर्थन करेंगे।”

तीनों मछलियाँ मिलकर अपनी मित्रता का प्रतिज्ञान किया और उनकी जिंदगी में नए और रोमांटिक सफलताएं होने की शुरुआत हुई।

कुछ दिनों बाद, नदी में बड़ा बड़ा मछुआरा आया। इस मछुआरे का नाम था राजा मछुआरा। राजा मछुआरा ने देखा कि ये तीन मछलियाँ किसी खासी बातों में लगी हुई हैं और उनकी दोस्ती में बहुत ताकत है।

राजा मछुआरा ने तीनों मछलियों को देखा और उनसे बोला, “तुम तीनों मुझे बहुत प्यारी लग रही हो, और मैं चाहता हूं कि तुम मेरी महारानी बनो।”

लाली, पीली, और नीलू ने अचंभित होकर राजा मछुआरा की ओर देखा। उन्होंने कहा, “हम तीनों बहुत खुश हैं कि तुम हमें अपनी महारानी बनाना चाहते हो, परंतु हम तीनों कभी भी अलग नहीं हो सकतीं। हम तुम्हारी महारानी बनने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें तीनों को साथ में रहने की अनुमति दो।”

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राजा मछुआरा ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम तीनों को अलग करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। तुम्हें तीनों को साथ रहने की अनुमति है।”

इसके बाद, राजा मछुआरा ने तीनों मछलियों को अपने राजमहल में ले जाया। वहां, लाली, पीली, और नीलू ने खूबसूरत महारानियों की तरह जीने का आनंद लिया। राजा मछुआरा ने तीनों मछलियों को अपने साथ रखकर अपने राजमहल को एक खुशहाल और रंगीन मकान बना दिया।

तीनों मछलियाँ बहुत खुश थीं कि उन्होंने अपनी मित्रता को कभी भी नहीं छोड़ा और उन्होंने मिलकर अपने जीवन को सजाया। उनकी दोस्ती और साथीपना ने उन्हें हमेशा खुश रखा और उनकी जिंदगी को रौंगत भर दी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्ची मित्रता और एक दूसरे का साथ हमेशा जीवन को सुंदर बनाए रखता है।

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2. लालची बंदर 

बहुत समय पहले की बात है, एक गहरे जंगल में एक बंदर रहता था जिसका नाम था मोहन। मोहन बहुत ही लालची था और उसका लालच उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने की ओर बढ़ा रहा था।

मोहन का सबसे बड़ा लालच था फलौं का। वह हमेशा अच्छे और मिठे फल खाना चाहता था, चाहे वह कहीं भी मिलते हों। मोहन के दोस्तों ने कभी नहीं समझा कि इतना लालच किसी को कहाँ ले जा सकता है।

Story in hindi small for kids | lalchi bandr ki kahani

Story in Hindi Small

एक दिन, जंगल में एक बड़ा सा दृढ़ वृक्ष था जिस पर कई प्रकार के स्वादिष्ट और सुस्त फल लगते थे। मोहन ने उस वृक्ष को देखकर अपनी आँखों में चमक देखी। उसने तत्पश्चात् अपने दोस्तों को बुलाया और कहा, “दोस्तों, हमें इस वृक्ष के फल तक पहुँचना चाहिए। ये इतने मिठे और स्वादिष्ट हैं कि अगर हम इन्हें खाएंगे तो हमारी जिंदगी सुखमय हो जाएगी।”

बंदरों ने मिलकर योजना बनाई कि वे उस वृक्ष के पास पहुँचेंगे। मोहन ने सबसे पहले योजना बनाई क्योंकि उसका मन बहुत ही लालची था। उसने सोचा कि कैसे वह सबसे ज्यादा फलों को हटा सकता है ताकि वह खुद सबसे ज्यादा फल खा सके।

जब वे वृक्ष के पास पहुँचे, तो मोहन ने अपने दोस्तों से कहा, “दोस्तों, हमें यहाँ सबसे ऊपर उठकर फलों को हटाना चाहिए।”

बंदरों ने मिलकर सोचा कि यह एक अच्छा योजना है, लेकिन एक दोस्त ने पूछा, “लेकिन मोहन, हम सभी को तो इसमें जगह ही नहीं मिलेगी, तो फिर हम सब कैसे फलों को छू सकेंगे?”

मोहन हंसते हुए बोला, “दोस्तों, यह तो मेरी एक मास्टरस्ट्रोक है। हमें सबसे पहले वृक्ष की चोटी पर पहुँचना होगा, जिससे हम फलों को आसानी से छू सकेंगे।”

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बंदरों ने मिलकर योजना के अनुसार वृक्ष की चोटी पर पहुँचने का प्रयास किया। पहले प्रयास में सफलता होने के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे वृक्ष की चोटी तक पहुँचना शुरू किया।

बंदरों ने वृक्ष की चोटी तक पहुँचकर वहाँ के सभी स्वादिष्ट और मिठे फलों को तोड़ना शुरू किया। मोहन ने धीरे-धीरे सबसे ज्यादा फलों को तोड़ना शुरू किया ताकि वह खुद सबसे ज्यादा खा सके।

इसके दौरान, एक दोस्त ने यह सब देखा और उसने तुरंत मोहन को रोका और कहा, “मोहन, तू इतना लालची क्यों है? हम सब तो तुझसे मिलकर फलों का आनंद लेना चाहते हैं। तू तो हमेशा सबसे आगे रहना चाहता है, लेकिन इस लालच में तू सभी को खो सकता है।”

मोहन ने उस दोस्त की बातों को सुनकर सोचा और उसने फलों को सबके साथ साझा करना शुरू किया। उसने अपने लालच को दूर किया और एक मित्र बनाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लालच से हमेशा नुकसान होता है और सच्ची दोस्ती और साझेदारी से हमेशा जीवन सुखमय रहता है। लालची बंदर की कहानी हमें यह बताती है कि अगर हम दूसरों के साथ सहयोग करते हैं और उनके साथ बांटते हैं, तो हम सभी को सुख और समृद्धि मिलती है।

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3. बुद्धिमान साधू ( Story in hindi small with moral )

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक साधू बाबा रहते थे जिनका नाम स्वर्गानंद था। स्वर्गानंद बाबा गाँववालों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध और पूज्य होने के कारण लोग उनके पास अपनी समस्याओं का समाधान पूछने जाते थे। वह एक बहुत ही बुद्धिमान और ज्ञानी साधू थे जो लोगों को उनके जीवन के मार्गदर्शन में मदद करते थे।

एक दिन, गाँव के एक युवक नामक राजीव ने बाबा स्वर्गानंद से मिलकर उनसे एक सवाल पूछा, “बाबा, मैं जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता हूँ, कृपया मेरे लिए कोई सुझाव दें।”

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Story in Hindi Small

बाबा स्वर्गानंद मुस्कराएं और बोले, “राजीव, सफलता प्राप्त करने के लिए तुम्हें अपने लक्ष्य का स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए और फिर उसे हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।”

राजीव ने पूछा, “लेकिन बाबा, में कैसे जानूं कि मेरे लिए सही लक्ष्य क्या है?”

बाबा ने उत्तर दिया, “राजीव, सही लक्ष्य को चुनने के लिए तुम्हें अपने आत्मा के साथ संवाद करना होगा। तुम्हें अपनी प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं को समझना होगा और फिर उसी के मुताबिक लक्ष्य तय करना होगा।”

राजीव ने आत्मा से संवाद करने का प्रयास किया और ध्यानपूर्वक विचार किया। वह जानता था कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं और उसे कहां पहुँचना है। बाबा स्वर्गानंद ने उससे उसके लक्ष्य को तय करने के लिए एक योजना बनाने का सुझाव दिया और उसे मेहनत करने का प्रेरणा दिया।

राजीव ने बाबा के सुझाव का पालन करते हुए अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया। उसने मेहनत, उत्साह, और संघर्ष के साथ काम करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरी कोशिश की। उसने आपने अध्ययन को प्राथमिकता दी, सौभाग्य से अच्छे मेंगेमेंट कौशल को सीखा, और उसने अच्छे नेटवर्किंग के साथ अच्छे संबंध बनाए।

कुछ सालों बाद, राजीव ने अपने प्रयासों के फलस्वरूप बड़ी सफलता हासिल की। वह एक सफल व्यापारी और सामाजिक क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए थे। उसकी कड़ी मेहनत, सही दिशा में लगी उम्मीद, और सच्चे आत्म-निर्भरता की बजह से वह बुद्धिमान बना।

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बाबा स्वर्गानंद ने राजीव को देखकर हंसते हुए कहा, “राजीव, सफलता को प्राप्त करने के लिए तुम्हें बुद्धिमान होना होता है, और यह बुद्धिमानी तुम्हारी मेहनत, समर्पण, और सही मार्गदर्शन से होती है।”

राजीव ने बाबा स्वर्गानंद की शिक्षाओं का कृपापूर्वक स्वागत किया और उनकी बुद्धिमानी और आदर्शों से प्रेरित होकर, वह अब भी लोगों को मार्गदर्शन करने के लिए सकारात्मक तरीके से जीवन यात्रा कर रहा था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम अपने लक्ष्य के प्रति सही समर्पण और बुद्धिमानी से काम करते हैं, तो हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। बुद्धिमान साधू ने राजीव को यह सिखाई कि जीवन में सफलता की कुंजी मेहनत, निर्णय, और सही मार्गदर्शन में है।

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4. माँ का प्यार ( Short story in hindi small)

एक छोटे से गाँव में एक साधु और उसकी बड़ी सी संतान, राधा, बसी थीं। राधा एक खुशहाल बच्ची थी जो अपने माता-पिता के साथ खेतों में खेतीबाड़ी में मदद करती थी। उसकी माँ, सुमिता, एक बहुत ही शक्तिशाली और समर्पित महिला थी, जो अपने परिवार को सुखी रखने के लिए कड़ी मेहनत करती थीं।

एक दिन, गाँव में अचानक हुई बारिश ने आयुर्विग्यान का प्रभाव डाला और बीमारी फैला दी। गाँववाले जल्दी से बीमारों की देखभाल के लिए अस्पताल जा रहे थे। उस दौरान, राधा के पिताजी भी बीमार पड़े और अस्पताल में भर्ती हो गए।

Short Story in Hindi with Moral |maa ka pyar ki kahani

Story in Hindi Small

राधा और उसकी माँ ने देखा कैसे उसके पिताजी का स्वास्थ्य दिन पर दिन बिगड़ रहा था। उन्हें अस्पताल के बाहर भी कुछ दिनों के लिए नहीं जाने दिया गया, जिससे राधा का घरेलू काम भी बढ़ गया।

राधा के पास यह सभी जिम्मेदारियाँ थीं, लेकिन उसने इसे कभी शिकायत नहीं की। वह अपने माता-पिता के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार थी। उसने देखा कैसे उसकी माँ रात रात भर मरम्मत के बाद भी तकलीफ में रहती थीं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

एक दिन, राधा ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, तुम इतनी तकलीफ में क्यों रहती हो? हम तो ठीक हैं, तुम्हें आराम करना चाहिए।”

सुमिता ने मुस्कराते हुए कहा, “राधा, मेरी बेटी, माँ का प्यार अजब बात है। हमें खुशी है कि हम तुम्हारे साथ हैं, और हम तुम्हारे पिताजी की सेवा कर सकते हैं।”

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राधा ने समझा कि माँ का प्यार कभी खत्म नहीं होता। उसने अपनी माँ की समर्पण भरी जीवनशैली से सीखा कि परिवार के लिए अपने आपको बाल-बाल बचाना सबसे बड़ा सौभाग्य है।

वह अपने परिवार के साथ अपनी जिम्मेदारियों का सामना करते हुए खुद को बहुत ज्यादा समर्पित महसूस करने लगी थी। उसने अपने माँ की ताकत, सहनशीलता, और प्रेम को देखकर यह सिखा कि माँ हमेशा हमारे साथ होती हैं, चाहे जो भी हो।

इसके बाद, राधा ने अपनी माँ के साथ मिलकर परिवार की देखभाल करने का संकल्प किया। उसने अपने माँ की तरह ही मेहनत, समर्पण, और प्यार से भरा जीवन जीने का निर्णय लिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि माँ का प्यार अनमोल है और हमें अपने परिवार के साथ अपने आपको समर्पित करना चाहिए। इसमें सच्चे प्रेम और सहानुभूति की भावना होती है, जो हमें जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बातें सिखा सकती है।


5.सोने का अंडा देने वाले हंस की कहानी-( Top 10 moral stories in hindi )

कहीं दूर एक छोटे से गाँव में एक सुंदर झील बसी थी। इस झील में बहुत सी रंग-बिरंगी मेंहता और पक्षियाँ रहती थीं। झील की किनारे पर एक छोटा सा गाँव बसा हुआ था, जहाँ गाँववाले खुशहाली से जीते थे।

गाँव में एक बूँदेलबाज हंस अपने सुंदर सफेद पंखों के साथ रहता था। यह हंस अपनी खूबसूरती और आकर्षक पंखों के लिए मशहूर था। लोग उसे देखकर हैरान हो जाते थे और उसकी सुंदरता के लिए उसे “सोने का अंडा देने वाला हंस” कहते थे।

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Story in Hindi Small

एक दिन, गाँव के एक बच्चे ने अपने दोस्तों को यह देखते हुए बताया, “मेरे पास बहुत अद्भुत खजाना है! मैंने सोने का अंडा देने वाले हंस को देखा है!” लोगों ने इस बच्चे की बात सुनी और सभी उत्सुकता से हंस को देखने के लिए उदाहरण बनाया।

वहाँ पहुंचकर लोग अपनी आंखों को इस अद्भुत हंस की सुंदरता से भर लिए। वे यकीन करने लगे कि यही वह हंस है जो सोने का अंडा देता है। लोग बच्चे की बातों में विश्वास करके उसके पास पहुंचे और उससे सोने का अंडा मांगने लगे।

वह अपनी मासूमियत का फायदा उठाते हुए बोला, “हाँ, मैं सोने का अंडा देने वाला हंस हूँ, लेकिन मैं तुम्हें सोने का अंडा तब दूंगा जब तुम मेरे लिए कुछ करोगे।”

लोग आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने पूछा, “हमें तुम्हारे लिए क्या करना होगा?”

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हंस ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, “मैं चाहता हूँ कि तुम इस झील की सफाई करो और इसे स्वच्छ रखो। तुम्हारी यह सेवा मेरे लिए काफी होगी।”

लोगों ने खुशी-खुशी इस कार्य में हाथ बटाया और झील की सफाई का काम शुरू किया। हर रोज़ वे मिलकर झील को साफ करते, कीचड़ और कचरे को हटाते, और पक्षियों को भी उनकी सहायता करते।

समय के साथ झील स्वच्छ हो गई, पक्षियाँ और मेहता भी सुरक्षित महसूस करने लगे। लोगों ने खुशी-खुशी हंस को समर्थन दिया और उन्हें धन्यवाद दिया क्योंकि उनकी सेवा की वजह से झील नई जिंदगी में बहुत सुंदर हो गई थी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें सिर्फ खुद के लाभ के लिए ही नहीं, बल्कि अपने आस-पास के पर्यावरण के लिए भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अपने कार्यों से हम कैसे अपने समुदाय और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं, यह हंस की कहानी हमें बताती है। उसने यह सिद्ध किया कि एक व्यक्ति किसी भी छोटे क्षेत्र में भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है और सभी को साथ मिलकर काम करने का संदेश दिया।

 6. घमंडी बारहसिंगा -( story in hindi small story in hindi )

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बारहसिंगा अपने आत्म-विशेषता के कारण बहुत घमंड में रहता था। उसका नाम राजा बारहसिंगा था। वह अपनी शानदार होंठों और उसकी बेहद सुंदरता के कारण अपने आप को जंगल का सबसे हंसमुख महाराज मानता था।

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राजा बारहसिंगा का घमंड इतना बढ़ गया था कि वह अपने दोस्तों और अन्य जंगली जीवों के साथ बड़े ही अहंकार से पेश आता था। वह अपने आप को शिकार की राजा मानता था और जंगल के सभी प्राणियों को उसकी सेवा करनी चाहिए, इस भ्रांति में रहता था।

एक दिन, एक बुढ़े साधु ने जंगल में अपनी तपस्या कर रहे थे। उन्होंने राजा बारहसिंगा के घमंड को देखा और उसकी अहंकारी आदतों की चर्चा करते हुए उसके पास गए।

साधु ने कहा, “राजा बारहसिंगा, तुम्हारा यह घमंड तुम्हें बहुत कष्ट दे सकता है। इस अहंकार में रहकर तुम अपने आत्म-समर्पण को खो रहे हो।”

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राजा बारहसिंगा ने उस साधु की बातों को नकारात्मक रूप से लिया और कहा, “तुम कौन हो कि तुम मुझे सिखाओ?”

साधु ने हंसते हुए कहा, “मैं तुम्हें एक अद्वितीय उपाय बता सकता हूँ जो तुम्हें तुम्हारे घमंड से मुक्ति दिला सकता है।”

राजा बारहसिंगा ने उस साधु की बातों को ताक में लेने का निर्णय किया और साधु ने उसे एक विशेष मंत्र दिया। साधु ने कहा, “तुम्हें हर रात को सोने से पहले इस मंत्र का जाप करना होगा। जब तुम इसे पूर्ण करोगे, तो तुम्हारा घमंड और भी बढ़ेगा।”

राजा बारहसिंगा ने उस मंत्र का जाप करना शुरू किया, लेकिन उसने तुरंत ही अहंकार से दूर होने का अहसास किया। वह अपनी भूल को सुधारकर हंसने वाले और सभी के साथ मिलकर रहने वाले बन गया। जंगल में उसका नया स्वभाव देखकर सभी हैरान रह गए।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि घमंड करना और अपनी श्रेष्ठता में खो जाना कभी भी उपयुक्त नहीं है। अहंकार से मुक्त होने के लिए हमें अपनी गरिमा को बरकरार रखना चाहिए और सभी के साथ विनम्र रहना चाहिए।

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